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RAJASTHAN PUBLIC EXAMINATION (USE OF UNFAIR MEANS) ACT (Act No.27 of 1992)

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RAJASTHAN PUBLIC EXAMINATION (USE OF UNFAIR MEANS) ACT (Act No.27 of 1992)

राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम (1992 का अधिनियम संख्यांक 27)

[8 नवम्बर, 1992]

 सार्वजनिक परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों को प्रकटन की और अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए और उनसे संसक्त और उनके आनुषंगिक विषयों के लिए उपबन्ध करने के लिए अधिनियम। भारत गणराज्य के तैयालीसवें वर्ष में राजस्थान राज्य विधान-मण्डल निम्नलिखित अधिनियम बनाता है .-

 1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ- (1) इस अधिनियम का नाम राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1992 है। (2) इसका प्रसार सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में होगा। (3) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।

2. परिभाषाएँ .- इस अधिनियम में, -

 (क) "परीक्षा-केन्द्र" से, सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के लिए नियत कोई भी स्थान अभिप्रेत है और उसमें उससे संलग्न सम्पूर्ण परिसर सम्मिलित है;

(ख) "सार्वजनिक परीक्षा" से, अनुसूची में विनिर्दिष्ट कोई भी परीक्षा अभिप्रेत है;

(ग) किसी परीक्षा के सम्बन्ध में "अनुचित साधन" से, किसी सार्वजनिक परीक्षा में प्रश्न का उत्तर देते समय, किसी भी व्यक्ति से या किसी भी लिखित, अभिलिखित या मुद्रित सामग्री से किसी भी रूप में अप्राधिकृत सहायता या किसी भी अप्राधिकृत दूरभाषित, बेतार या इलेंक्ट्रोनिक अथवा अन्य उपकरण या यंत्र का उपयोग अभिप्रेत है ;

(घ) इसमें प्रयुक्त किये गये और परिभाषित नहीं किये गये किन्तु भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) में परिभाषित किये गये शब्दों और अभिव्यक्तियों के वे अर्थ होंगे जो उन्हें क्रमशः उस संहिता में समनुदेशित किये गये हैं।

3. अनुचित साधनों के उपयोग का प्रतिषेध .- कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग नहीं करेगा।

 4. प्रश्न-पत्र का अप्राधिकृत कब्जा या प्रकटन .- कोई भी व्यक्ति, जो ऐसा करने के लिए विधिपूर्वक प्राधिकृत या अपने कर्त्तव्यों के आधार पर अनुज्ञात नहीं है, किसी सार्वजनिक परीक्षा में परीक्षार्थी को प्रश्नपत्र के वितरण के लिए नियत समय के पूर्व- (क) ऐसा प्रश्न पत्र या उसका कोई भी भाग या प्रति उपाप्त नहीं करेगा या उपाप्त करने का प्रयत्न नहीं करेगा या कब्जे में नहीं लेगा, या (ख) ऐसी सूचना नहीं देगा या देने का प्रस्ताव नहीं करेगा जिसके, ऐसे प्रश्न-पत्र से संबद्ध, प्राप्त या सम्बन्धित होने को वह जानता है या ऐसा विश्वास करने का उसके पास कारण है।

 5. परीक्षा-कार्यन्यस्त व्यक्ति के द्वारा प्रकटन की रोकथाम .- कोई भी व्यक्ति जिस पर सार्वजनिक परीक्षा से सम्बन्धित कोई भी कार्य न्यस्त किया गया है, सिवाय वहाँ के जहाँ उसे ऐसा करने के लिए, अपने कर्त्तव्यों के आधार पर अनुज्ञात किया गया है, कोई भी ऐसा सूचना या उसका भाग, जो उक्त कार्य पर इस प्रकार न्यस्त किये जाने के आधार पर उसकी जानकारी में आया है, किसी भी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रकट नहीं करेगा या प्रकट नहीं करवायेगा या नहीं बतायेगा। '[

 

6. शास्ति .-- जो कोई भी निम्न के प्रावधान का उल्लंघन करता है या उल्लंघन का प्रयास करता है या उल्लंघन का दुष्प्रेरण करता है-

(i) धारा 3 : तो वह कारावास से; जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनोंसे दण्डनीय होगा; और 

(ii) धारा 4 या धारा 5 : तो वह कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जो सात वर्ष तक हो सकेगी, और जुर्माने से, जो दस हजार रुपये तक हो सकेगा, दण्डनीय/ होगा।

6 क. प्रश्न पत्रों की चोरी, उद्दापन या लूट कारित करने के लिए दण्ड .- जो कोई भी किंसी लोक परीक्षा के प्रश्न पत्रों की चोरी, उद्दापन या लूट ऐसे प्रश्न-पत्र के समाप्त होने से पहले किसी भी समय कारित करता है, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (1860 का केन्द्रीय अधिनियम संख्या 45) में किसी भी बात के प्रतिकूल अन्तर्विष्ट होते हुए भी, ऐसी अवधि, जो पाँच वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जो सात वर्ष तक हो सकेगी, के कारावास से और जुर्माने से, जो पन्द्रह। हजार रुपये से कम नहीं होगा, लेकिन जो एक लाख रुपये तक हो सकेगा, दण्डनीय होगा।

 7. उपहति कारित करने की तैयारी के साथ अपराध करने के कारण शास्ति .- जो कोई भी किसी भी व्यक्ति की मृत्यु कारित करने या किसी भी व्यक्ति को उपहति कारित करने या किसी भी व्यक्ति पर हमला करने के लिए या किसी भी व्यक्ति को सदोष अवरुद्ध करने के लिए या किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्यु या उपहति या हमले या सदोष अवरोध का भय पैदा करने के लिए तैयारी करके धारा 6 के अधीन दण्डनीय कोई अपराध करता है वह ऐसी अवधि के कारावास से, जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और ऐसे जुर्माने का, जो पाँच हजार रुपये तक का हो सकेगा, दायी भी होगा।

 8. अनुसूची को संशोधित करने की शक्ति .- राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसी किसी भी अन्य सार्वजनिक परीक्षा को अनुसूची में सम्मिलित कर सकेगी जिसके सम्बन्ध में वह इस अधिनियम के उपबन्धों को लागू करना आवश्यक समझे और '[, किसी भी सार्वजनिक परीक्षा कोअनुसूची से अपवर्जित कर सकेगी और] राजपत्र में प्रकाशित होने पर अनुसूची तदनुसार संशोधित की गयी समझी जायेगी।

अनुसूची (धारा-2)

1. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अधिनियम, 1957 (1957 का अधिनियम संख्या 42) के अधीन राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा।

2. भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा।

 3. राजस्थान लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा

4. राज्य में किसी स्वशासित कॉलेज द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा]

 5. रेलवे भर्ती बोर्ड, अजमेर द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा।]

6. राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा।]

7. राजस्थान अधीनस्थ और लिपिकवर्गीय सेवा चयन बोर्ड द्वारा संचालित कोई भी परीक्षा।] 

8. भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGT), नई दिल्ली द्वारा आयोजित अखिल भारतीय व्यापार परीक्षा (AITT) की कोई भी परीक्षा।]

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