अध्याय 10
पत्नियों, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश
144.
पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश ।--
( 1 ) यदि पर्याप्त साधन वाला कोई
व्यक्ति भरण-पोषण करने में उपेक्षा करता है या इंकार करता है--
(a)
उसकी पत्नी अपना भरण-पोषण करने में
असमर्थ है; या
(b)
उसकी वैध या नाजायज संतान, चाहे वह
विवाहित हो या नहीं, अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो; या
(c)
उसकी वैध या नाजायज संतान (जो
विवाहित पुत्री न हो) जो वयस्क हो गई हो, जहां ऐसी संतान किसी शारीरिक या मानसिक
असामान्यता या चोट के कारण अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो; या
(d)
उसके पिता या माता, जो अपना
भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं , वहां प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ऐसी उपेक्षा या इनकार
के साबित होने पर ऐसे व्यक्ति को आदेश दे सकता है कि वह अपनी पत्नी या ऐसे बच्चे,
पिता या माता के भरण-पोषण के लिए ऐसी मासिक दर पर मासिक भत्ता दे, जिसे मजिस्ट्रेट
ठीक समझे और उसे ऐसे व्यक्ति को दे, जैसा मजिस्ट्रेट समय-समय पर निर्देश दे:
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है
कि ऐसी बालिका का पति, यदि विवाहित है, पर्याप्त साधन संपन्न नहीं है तो वह खंड ( ख ) में निर्दिष्ट बालिका के पिता को उसके
वयस्क होने तक ऐसा भत्ता देने का आदेश दे सकेगा:
परंतु यह और कि मजिस्ट्रेट, इस उपधारा के अधीन
भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ते से संबंधित कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान, ऐसे
व्यक्ति को आदेश दे सकेगा कि वह अपनी पत्नी या ऐसे बच्चे, पिता या माता के अंतरिम
भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता दे और ऐसी कार्यवाही के व्ययों का, जिन्हें
मजिस्ट्रेट उचित समझे, भुगतान करे और उसे ऐसे व्यक्ति को दे, जैसा मजिस्ट्रेट
समय-समय पर निर्देश दे:
यह भी प्रावधान है कि दूसरे परंतुक के अधीन
अंतरिम भरण-पोषण और कार्यवाही के व्यय के लिए मासिक भत्ते के लिए आवेदन का
निपटारा, जहां तक संभव हो, ऐसे व्यक्ति को आवेदन की सूचना की तामील की तारीख से
साठ दिन के भीतर किया जाएगा।
स्पष्टीकरण-
इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, "पत्नी" में वह महिला सम्मिलित है जिसे उसके पति ने तलाक दे दिया है या उसने अपने पति से तलाक प्राप्त कर लिया है
और उसने पुनर्विवाह नहीं किया है।
(2)
भरण-पोषण या अन्तरिम भरण-पोषण तथा
कार्यवाही के व्यय के लिए ऐसा कोई भत्ता, आदेश की तारीख से, या यदि ऐसा आदेश दिया
गया हो, तो भरण-पोषण या अन्तरिम भरण-पोषण तथा कार्यवाही के व्यय के लिए आवेदन की
तारीख से, जैसा भी मामला हो, देय होगा।
(3) यदि कोई व्यक्ति, जिसे इस प्रकार आदेश दिया गया हो, पर्याप्त कारण के बिना
आदेश का पालन करने में असफल रहता है, तो ऐसा कोई मजिस्ट्रेट, आदेश के प्रत्येक
उल्लंघन के लिए, जुर्माना लगाने के लिए उपबंधित रीति से देय रकम वसूलने के लिए
वारंट जारी कर सकता है, और ऐसे व्यक्ति को, वारंट के निष्पादन के पश्चात्,
यथास्थिति, भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण तथा कार्यवाही के व्ययों के लिए प्रत्येक
माह के भत्ते के पूरे या उसके किसी भाग के लिए, जो भुगतान नहीं किया गया है, एक
माह तक की अवधि के लिए कारावास या यदि भुगतान पहले कर दिया गया है, तो उस अवधि तक
कारावास की सजा दे सकता है:
परन्तु इस धारा के अधीन देय किसी रकम की वसूली
के लिए तब तक कोई वारंट जारी नहीं किया जाएगा जब तक कि ऐसी रकम उसके देय होने की
तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर वसूल करने के लिए न्यायालय में आवेदन न किया
जाए:
परन्तु यह और कि यदि ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी को
उसके साथ रहने की शर्त पर भरण-पोषण देने की प्रस्थापना करता है, और वह उसके साथ
रहने से इंकार कर देती है, तो ऐसा मजिस्ट्रेट उसके द्वारा बताए गए इंकार के
किन्हीं आधारों पर विचार कर सकता है, और ऐसी प्रस्थापना के होते हुए भी, यदि उसका
समाधान हो जाता है कि ऐसा करने के लिए न्यायोचित आधार है, तो वह इस धारा के अधीन
आदेश दे सकता है।
स्पष्टीकरण--
यदि किसी पति ने किसी अन्य स्त्री से विवाह कर लिया है
या रखैल रख ली है तो यह उसकी पत्नी द्वारा उसके साथ रहने से इंकार करने का
न्यायोचित आधार माना जाएगा।
(4) इस धारा के अंतर्गत कोई भी पत्नी अपने पति से भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण
तथा कार्यवाही के व्यय के लिए भत्ता प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी, यदि वह
व्यभिचार में रह रही है, या यदि वह बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ
रहने से इंकार करती है, या यदि वे आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं।
(5) यह साबित हो जाने पर कि कोई पत्नी, जिसके पक्ष में इस धारा के अधीन आदेश
दिया गया है, व्यभिचार में रह रही है, या वह बिना पर्याप्त कारण के अपने पति के
साथ रहने से इंकार करती है, या वे आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं, मजिस्ट्रेट आदेश
को रद्द कर देगा।
145. प्रक्रिया .- ( 1 ) धारा 144 के अधीन
कार्यवाही किसी भी जिले में किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध की जा सकेगी-
(a) वह कहां है; या
(b) जहां वह या उसकी पत्नी निवास करती है; या
(c) जहां वह अंतिम बार अपनी पत्नी के साथ, या जैसा भी मामला हो, अवैध बच्चे की
मां के साथ रहता था; या
(d) जहाँ उसके पिता या माता रहते हैं।
(2) ऐसी कार्यवाहियों में समस्त साक्ष्य उस व्यक्ति की उपस्थिति में लिया
जाएगा जिसके विरुद्ध भरण-पोषण के संदाय का आदेश दिया जाना प्रस्तावित है, या जब
उसकी वैयक्तिक उपस्थिति से छूट दी गई हो तो उसके अधिवक्ता की उपस्थिति में लिया
जाएगा और उसे समन-मामलों के लिए विहित रीति से अभिलिखित किया जाएगा:
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाए कि
वह व्यक्ति, जिसके विरुद्ध भरण-पोषण के भुगतान का आदेश दिया जाना प्रस्तावित है,
जानबूझकर तामील से बच रहा है, या जानबूझकर न्यायालय में उपस्थित होने की उपेक्षा
कर रहा है, तो मजिस्ट्रेट मामले की एकपक्षीय
सुनवाई और निर्धारण कर सकेगा । और
इस प्रकार किया गया कोई आदेश, उसके जारी होने की तारीख से तीन मास के भीतर किए गए
आवेदन पर, अच्छे कारण से, ऐसे निबंधनों के अधीन रहते हुए, जिसके अंतर्गत विरोधी
पक्षकार को खर्चे के संदाय के बारे में निबंधन भी हैं, अपास्त किया जा सकेगा, जिन्हें
मजिस्ट्रेट न्यायसंगत और उचित समझे।
(3) धारा 144 के अधीन आवेदनों पर विचार करते समय न्यायालय को लागत के संबंध
में ऐसा आदेश देने की शक्ति होगी, जो न्यायसंगत हो।
146.
भत्ते में परिवर्तन ।--( 1 ) धारा 144 के अधीन भरण-पोषण या अन्तरिम भरण-पोषण के लिए मासिक
भत्ता प्राप्त करने वाले या उसी धारा के अधीन अपनी पत्नी, बच्चे, पिता या माता को
भरण-पोषण या अन्तरिम भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता देने के लिए आदेशित किसी व्यक्ति
की परिस्थितियों में परिवर्तन साबित होने पर, मजिस्ट्रेट, भरण-पोषण या अन्तरिम
भरण-पोषण के भत्ते में, जैसा वह ठीक समझे, ऐसा परिवर्तन कर सकेगा।
(2) जहां मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत हो कि किसी सक्षम सिविल न्यायालय के किसी
निर्णय के परिणामस्वरूप धारा 144 के अधीन दिया गया कोई आदेश रद्द या परिवर्तित
किया जाना चाहिए, वहां वह, यथास्थिति, उस आदेश को रद्द कर देगा या तद्नुसार उसमें
परिवर्तन कर देगा।
(3) जहां धारा 144 के अधीन कोई आदेश किसी ऐसी स्त्री के पक्ष में किया गया है,
जिसे उसके पति ने तलाक दे दिया है या उसने अपने पति से तलाक प्राप्त कर लिया है,
वहां मजिस्ट्रेट, यदि उसका समाधान हो जाता है कि-
(a)
यदि महिला ने ऐसे तलाक की तारीख के
बाद पुनर्विवाह कर लिया है, तो उसके पुनर्विवाह की तारीख से ऐसा आदेश रद्द कर दिया
जाएगा;
(b)
स्त्री को उसके पति ने तलाक दे दिया
है और उसने उक्त आदेश की तारीख से पूर्व या उसके पश्चात् वह सम्पूर्ण राशि प्राप्त
कर ली है, जो पक्षकारों को लागू किसी रूढ़िगत या वैयक्तिक विधि के अधीन ऐसे तलाक
पर देय थी, तो ऐसे आदेश को रद्द किया जाएगा,—
(i) उस मामले में जहां ऐसी राशि ऐसे आदेश से पहले भुगतान की गई थी, उस तारीख
से जिसको ऐसा आदेश दिया गया था;
(ii) किसी अन्य मामले में, उस अवधि की समाप्ति की तारीख से, यदि कोई हो, जिसके
लिए पति द्वारा महिला को वास्तव में भरण-पोषण का भुगतान किया गया है;
(c)
महिला ने अपने पति से तलाक प्राप्त
कर लिया है और उसने तलाक के बाद, जैसा भी मामला हो, भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण
के अपने अधिकारों को स्वेच्छा से समर्पित कर दिया है, तो उस तारीख से आदेश को रद्द
किया जाता है।
(4) किसी व्यक्ति द्वारा भरण-पोषण या दहेज की वसूली के लिए कोई डिक्री करते
समय, जिसे धारा 144 के अधीन भरण-पोषण और अन्तरिम भरण-पोषण या उनमें से किसी के लिए
मासिक भत्ता दिए जाने का आदेश दिया गया है, सिविल न्यायालय उस राशि को ध्यान में
रखेगा जो उक्त आदेश के अनुसरण में, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति को भरण-पोषण और अन्तरिम
भरण-पोषण या उनमें से किसी के लिए मासिक भत्ते के रूप में दी गई है या उसके द्वारा
वसूल की गई है।