इकरारनामा बाबत किराया / किरायानामा –
वार्षिक किराया
, रूपये
स्टाम्प
रूपये
स्टाम्प क्रमांक दिनांक
स्टाम्प की संख्या
किरायानामा आज दिनांक ———————————– को श्री / श्रीमती —————————————-पुत्र /
पुत्री / धर्मपत्नी / विधवा——————– आय वर्ष — —————– निवासी —————-तहसील ————-
जिला —————– राज्य——————- । (प्रथम पक्ष/मालिक)
श्री / श्रीमती ——————- पुत्र / पुत्री / धर्मपत्नी / विधवा—— आयु वर्ष ——
निवासी ——तहसील —– जिला —— राज्य——————(द्धितीय पक्ष / किरायेदार ) के बीच
निष्पादित किया गया है/ लिखा गया है।
जो कि प्रथम पक्ष अनुसूची में दर्शाया गया है, एक मकान / प्लाट / फ्लैट /
दुकान / फैक्टरी / औद्यौगिक प्लाट / जिसका प्रथम पक्ष मालिक व काबिज है। जिस पर
किसी प्रकार का कोई भार नहीं है। अनुसूची में दर्शाई गई अचल संपति पर
किसी प्रकार का कोई कर्जा, किसी बैंक या सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था से प्राप्त
नहीं किया हुआ। संबंधित अचल संपति किसी नीलामी व कुर्की आदि में शामिल नहीं है।
संबंधित अचल संपति को आज से पहले किसी प्रकार से रहन – बैय - हिब्बा व अन्य तरीके
पर हस्तान्तरित नहीं किया गया है। अचल संपति को किराये पर देने की बावत किसी
प्रकार की कोई रूकावट किसी विभाग या किसी न्यायालय की नहीं है। उक्त अचल संपति पर
प्रथम पक्ष का कब्जा दिनांक ————— से बतौर किरायेदार राशि——————- रू0 प्रति मास पर
बतौर किराये के रूप में देनी स्वीकार की है। जिसकी बावत किरायानामा दिनांक ————– को
किया गया है। जिसका किरायानामा निष्पादित करना प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उचित
समझते है । इसलिए अब प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उक्त किरायानामा दिनांक ————— तक
के लिये निष्पादित करते है कि प्रथम पक्ष ने अपनी उक्त राशि —————- रू0 प्रति मास
किराये पर द्धितीय पक्ष को निम्नलिखित शर्तो पर दी है : –
1. यह है कि मौके पर कब्जा द्धितीय पक्ष का दिनांक ————– से दे
दिया है और यह किरायानामा दिनांक —————- तक की अवधि तक वैध रहेगा।
2. किराया की इस अवधि के दौरान द्धितीय पक्ष किराये के रूप में
प्रथम पक्ष को
————— रू0 प्रति मास के हिसाब से हर मास की ————————————–. तिथि तक अग्रिम रूप में
प्रथम पक्ष को
नगद प्रदान कर देगा।
3. यह है कि उक्त अवधि के दौरान सरकारी लगान, पानी एवं बिजली
का खर्च द्धितीय पक्ष स्वंय वहन करता रहेगा। जिसके बारे में प्रथम पक्ष कोई आपत्ति
उत्पन्न नहीं करेगा।
4. यह है कि उक्त अवधि समाप्त होने पर द्धितीय पक्ष, प्रथम पक्ष को
वापिस कर देगा।
5. यह है कि उक्त अवधि के दौरान भुगतान की रसीद प्रथम पक्ष्,
द्धितीय पक्ष
को देगा।
6. यह है कि उक्त अवधि के दौरान प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष के
बीच कोई विवाद होता है तो पंच फैसला दोनों पक्षों को मान्य होगा।
7. यह है कि द्धितीय पक्ष ने —————————— रूपये (शब्दो
में——————रूपये) केवल नगद प्रथम पक्ष को बतौर जमानत के रूप में अदा कर दिये हैं,
जो कि बिना
किसी ब्याज के प्रथम पक्ष द्धितीय पक्ष को सम्बन्धित अचल सम्पति के खाली करने के
समय बकाया किराया व अन्य देनदारी आदि काट कर वापिस कर देगा।
8. यह है कि उपरोक्त म्यांद के बाद यदि किरायेदारी की म्यांद
बढ़ाई जाती है तो प्रत्येक मास——– के बाद —– प्रतिशत की दर से किराये में
वृद्धि होगी
तथा किरायेदारी की म्यांद केवल प्रथम पक्ष की सहमति द्वारा ही बढ़ाई जा सकेगी।
9. यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति को केवल———
कार्य के लिए इस्तेमाल करेगा।
10. यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति पर या इसकी
किसी भी निर्माण में किसी भी किस्म की कोई तोडफोड या नया निर्माण नहीं करेगा तथा
किसी अन्य व्यक्ति को किराये पर नहीं देगा तथा प्रथम पक्ष को हक होगा कि वह किसी
भी समय निरीक्षण के लिए आ सकता है, जिसका द्धितीय पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी तथा द्धितीय
पक्ष कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जो कि कानून की नजरों में गलत होगा।
11. यह है कि सम्बन्धित अचल सम्पति में छोटी मुरम्मत
जैसे कि बिजली की तारों में परेशानी, पानी की लीकेज आदि द्धितीय पक्ष स्वंय करेगा।
12. यह है कि जब भी किसी पक्ष को उपरोक्त अचल सम्पति को खाली
करना या कराना हो तो वह दूसरे पक्ष को दो महिने पहले नोटिस देगा।
13. यह है कि उपरोक्त किरायानामा के दोनो पक्ष व उनके वारसान
आदि हमेंशा पाबन्द रहेगे तथा इसकी शर्तो का पालन करेगें।
अतः यह किराया नामा लिख दिया है कि बतौर साक्षी प्रमाण रहे ताकि समय पर काम
आये।
दिनांक——————
अनुसूचि (पहचान के लिये अचल सम्पति का विवरण)
नक्शा सीमा व पैमाईश मकान /प्लाट/फलेट/दुकान/फैक्टरी/उद्योगिक प्लाट के केस
में
पूर्व : – —————————- फुट————————————- इंच————————।
पश्चिम :- ————————- फुट————————————– इंच—————————।
उतर :- —————————फुट————————————– इंच—————————।
दक्षिण :- ————————–फुट————————————– इंच—————————।
स्थित—————————–
साक्षीगणः
हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
हस्ताक्षर द्धितीय पक्ष