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THE RAJASTHAN PUBLIC EXAMINATION (MEASURES FOR PREVENTION OF UNFAIR MEANS IN RECRUITMENT) ACT, 2022

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  THE RAJASTHAN PUBLIC EXAMINATION (MEASURES FOR PREVENTION OF UNFAIR MEANS IN RECRUITMENT) ACT, 2022

राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनीं की रोकथाम के अध्युपाय) अधिनियम, 2022 

                                                                          

 विधान-मण्डल अधिनियम बनाता है :-

 1. संक्षिप्त नाम, प्रसार और प्रारम्भ .- (1) इस अधिनियम का नाम राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के अध्युपाय) अधिनियम, 2022 है। (2) इसका प्रसार संपूर्ण राजस्थान राज्य में होगा।  राज्य  2022 का अधिनियम संख्यांक 6. [5 अप्रेल, 2022] स्वायत्त निकायों, प्राधिकारियों, बोर्डों या निगमों सहित राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर भर्ती के प्रयोजन के लिए सार्वजनिक परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों के प्रकटन और अनुचित साधनों के उपयोग के अपराधों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रभावी अध्युपायों का उपबंध करने के लिए और ऐसे अपराधों के विचारण के लिए अभि हित न्यायालयों, और उनसे संसक्त या आनुषंगिक मामलों, का उपबंध करने के लिए अधिनियम।  भारत गणराज्य के तिहत्तरवें वर्ष में राजस्थान निम्नलिखित6  (3) यह ऐसी तारीख से प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे। 

2. परिभाषाएँ .- इस अधिनियम में, जब तक विषय या संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) "सार्वजनिक परीक्षा का संचालन" से अभिप्रेत है और इसमें सम्म्मिलित है प्रश्नपत्रों, उत्तर पत्रकों, ओ.एम.आर. शीट और परिणाम पत्रकों की तैयारी, मुद्रण, पर्यवेक्षण, कोडिंग, प्रक्रिया, भंडारकरण, परिवहन, वितरण ओर संग्रहण, मूल्यांकन, परिणाम की घोषणा, इत्यादि

(ख) "परीक्षा प्राधिकारी" से अनुसूची-1 में यथाविकनिर्दिष्ट परीक्षा प्राधिकारी अभिप्रेत है;

 (ग) "परीक्षा केन्द्र" से किसी सार्वजनिक परीक्षा आयोजित कराने के लिए नियत और प्रयुक्त कोई संस्था या उसका भाग या कोई अन्य स्थान अभिप्रेत है और इसमें उससे संलग्न संपूर्ण परिसर सम्मिलित है;

 (घ) "परीक्षार्थी" से ऐसा व्यक्ति, जिसे सार्वजनिक परीक्षा में उपस्थित होने के लिए संबंधित प्राधिकारी द्वारा अनुमति प्रदान की गई है, अभिप्रेत है और इसमें उसके निमित्त श्रुतलेखक के रूप में प्राधिकृत व्यक्ति सम्मिलित है ;

(ङ) "सार्वजनिक परीक्षा" से स्वायत्त निकायों, प्राधिकारियों, बोर्डों या निगमों सहित राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर भर्ती के प्रयोजन के लिए अनुसूची-2 में यथाविनिर्दिष्ट परीक्षा अभिप्रेत है; 10

(च) "अनुचित साधन" में,-

 (i) किसी परीक्षार्थी के संबंध में, सार्वजनिक परीक्षा में किसी व्यक्ति या समूह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से या किसी भी रूप में किसी लिखित, अभिलिखित, प्रतिलिपि या मुद्रित 3 सामग्री से, अप्राधिकृत सहायता लेमा या किसी अप्राधिकृत इलेक्ट्रानिक या यांत्रिक म उपकरण या गैजेट का उपयोग करना, १। सम्मिलित है

(ii) किसी व्यक्ति के संबंध में,- I. प्रश्नपत्र के प्रतिरूपण या प्रकटन या प्रकटन का प्रयास या प्रकटन का षड़यंत्र करना; या

 II. प्रश्नपत्र को अप्राधिकृत रीति से उपाप्त करना या उपाप्त करने का ) प्रयास करना या कब्जे में लेना या। कब्जे में लेने का प्रयास करना; या

 III. अप्राधिकृत रीति से प्रश्नपत्र हल करना या हल करने का प्रयास करना या प्रश्नपत्र हल करने में सहायता मांगना; और

IV. सार्वजनिक परीक्षा में परीक्षार्थी की अप्राधिकृत रीति से प्रत्यक्ष या. अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना, सम्मिलित है। ·

स्पष्टीकरण .- किसी व्यक्ति में परीक्षार्थी भी सम्मिलित है; और (छ) इसमें प्रयुक्त किये गये और परिभाषित नहीं किये गये किन्तु भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (1860 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 45) में परिभाषित किये गये शब्दों और अभि व्यक्तियों के वही अर्थ होंगे जो उन्हें क्रंमशंः उस संहिता में समनुदेशित किये गये हैं

 3. अनुचित साधनों के उपयोग का प्रतिषेध .- कोई भी, व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग नहीं करेगा।

 4. प्रश्नपत्र प्रकटीकरण .- सार्वजनिक संचालन के लिए प्रश्नपत्रों को खोलने और उनका वितरण करने के लिए अपने कर्तव्यों के आधार पर प्राधिकृत कोई भी व्यक्ति नियत समय से पूर्व निम्नलिखित नहीं करेगा-

 (क) ऐसे प्रश्नपत्र या उसके किसी भाग या उसकी प्रति को खोलना, प्रकट करना या उपाप्त करना या उपाप्त करने का प्रयास करना, कब्जे में लेना या हल करना; या

(ख) किसी व्यक्ति या परीक्षार्थी को, कोई गोपनीय सूचना, जहां ऐसी गोपनीय सूचना ऐसे प्रश्नपत्र से संबंधित है या उसके संदर्भ में है, देना या ऐसी गोपनीय सूचना देने का वचन देना।

  5. परीक्षा कार्य से न्यस्त या उसमें लगे हुए व्यक्ति द्वारा प्रंकटन की रोकथाम .- कोई भी व्यक्ति, जो सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित किसी भी कार्य में न्यस्त है या उसमें लगा हुआ है, सिवाय उस दशा के जहां वह ऐसा करने के लिए अपने कर्तव्यों के आधार पर अनुज्ञात हो, ऐसी सूचना या उसका भाग, जो उसे इस प्रकार न्यस्त किये जाने वाले कार्य के आधार पर जानकारी में आया है, किसी भी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रकट नहीं करेगा या प्रकट नहीं करवायेगा या नहीं बतायेगा।

 6. प्रश्नपत्र और उत्तर पत्रक या ओ.एम.आर. शीट का किसी भी रूप में  अप्राधिकृत कब्जा या प्रकटीकरण .- कोई भी व्यक्ति, जो प्रश्नपत्रों के वितरण के लिए नियत समय से पूर्व ऐसा करने के लिए विधिपूर्वक प्राधिकृत नहीं है या जिसे अपने कर्तव्यों के आधार पर अनुज्ञा प्राप्त नहीं है, किसी सार्वजनिक परीक्षा में-

(क) ऐसा प्रश्नपत्र या उत्तर पत्रक या ओएम.आर. शीट या उसका कोई भाग या प्रति किसी भी रूप में उपाप्त नहीं करेगा या उपाप्त करने का प्रयत्न नहीं करेगा या कब्जे में नहीं लेगा; या

 (ख) ऐसी सूचना नहीं देगा या देने का प्रस्ताव नहीं करेगा जिसके, ऐसे प्रश्नपत्र से संबद्ध या प्राप्त या संबंधित होने के बारे में वह जानता है या ऐसा विश्वास करने का उसके पास कारण है।

 7. परीक्षा केन्द्र में प्रवेश का प्रतिषेध .- कोई भी व्यक्ति, जिसे सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित कार्य न्यस्त नहीं है या जो सार्वजनिक परीक्षा के संचालन कार्य में लगा हुआ नहीं है, अथवा जो परीक्षार्थी नहीं है, परीक्षा केन्द्र के परिसर में प्रवेश नहीं करेगा।

  8. परीक्षा केन्द्र से भिन्न कोई स्थान सार्वजनिक परीक्षा के लिए उपयोग में नहीं लिया जायेगा .- कोई भी व्यक्ति जिसे सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित कार्य नुयस्त है या जो उसमें लगा हुआ है, सार्वजनिक परीक्षा आयोजित कराने के प्रयोजन के लिए प्रीक्षा केन्द्र से भिन्न किसी स्थान का उपयोग नहीं करेगा और न ही करवायेगा।

 9. प्रबंधतंत्र, संस्था या अन्य द्वारा अपराध .- (1) जब कभी प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य द्वारा इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कारित किया जाता है, प्रत्येक व्यक्ति जोअपराध कारित किये जाने के समय, प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य के कारबार का प्रभारी था, या प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य के कारबार के संचालन के लिए प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य के प्रति उत्तरदायी था, साथ ही साथ प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य भी अपराध के दोषी समझे जायेंगे और स्वयं के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने के दायी होंगे और तद्नुसार दण्डित किये जायेंगे:

 • परन्तु इस उप-धारा में अंतर्विष्ट कोई भी बात ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में किसी दण्ड के लिए दायी नहीं बनायेगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना कारित किया गया था और यह कि उसने उस अपराध को कारित होने से रोकने के लिए सम्यक तत्परता बरती थी।  (2) उप-धारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां इस धारा के अधीन कोई अपराध किसी प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य द्वारा कारित किया गया है और यह साबित हो जाता है कि अपराध प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य के किसी निदेशक, भागीदार, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता या उनकी किसी उपेक्षा के फलस्वरूप कारित किया गया है तो ऐसा निदेशक, भागीदार, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी अपराध के दोषी समझे जायेंगे और स्वयं के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने के दायी होंगे और तदनुसार दंडित किये जायेंगे।

10. शास्तियां .- (1) यदि कोई परीक्षार्थी धारा 2(च)(i) के अधीन यथापरिभाषित अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और ऐसे जुर्माने से, जो एक लाख रुपये से कम का नहीं होंगा, दंडनीय होगा और जुर्माने का संदाय करने में व्यतिक्रम करने पर ऐसा परीक्षार्थी दोनों में से किसी भांति के काराबास से, जिसकी अवधिनौ मास तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा।

 (2) परीक्षार्थी को सम्मिलित करते हुए यदि कोई व्यक्ति, चाहे सार्वजनिक परीक्षा संचालित करने के कर्तव्य के लिए न्यस्त या प्राधिकृत किया गया हो या नहीं, षडयत्र में या अन्यथा धारा 2(च)(ii) में यथा परिभाषित अनुचित साधनों में लिप्त है या लिप्त होने का प्रयत्न करता है या इस अधिनियम के किन्हीं उपबंधों का उलंघन करता है यो उल्लंघन करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, 'जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवान कारावास तक की हो सकेगीं। और जुर्माने से, जो दस लाख रुपये से कम का नहीं होगा किन्तु जो दस करोड़ रुपये तक का हो सकेगा, दंडित किया जायेगा और जुर्माने के संदाय में व्यतिक्रम करने पर ऐसा व्यक्ति दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेंगी, दंडनीय होगा:

 •परन्तु न्यायालय निर्णय में अभिलिखित किये जाने वाले किन्हीं पर्याप्त और विशेष कारणों के लिए, '[दस वर्ष] से कम की अवधि के लिए कारावास का दण्ड अधिरोपित कर सकेगा।

11. दोषसिद्धि पर विवर्जन .- कोई परीक्षार्थी जिसे इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है तो उसे दो वर्ष की कालावधि के लिए कोई सार्वजनिक परीक्षा देने से विवर्जित किया जायेगा।

12. संपत्ति की कुर्की और अधिहरण .- (1) कोई भी व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के किन्हीं आगमों को धारित नहीं करेगा या कब्जे में नहीं रखेगा।

 (2) यदि, इस अधिनियम के अधीन कारित किसी अपराध का अन्वेषण करने वाले किसी अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि कोई संपत्ति, इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के आगम की द्योतक है, तो वह राज्य सरकार के लिखित में पूर्व अनुमोदन से ऐसी चल या अचल या दोनों संपत्ति के अभिग्रहण का आदेश कर सकेगा और जहां ऐसी संपत्ति का अभिग्रहण करना व्यवहार्य न हो, वहां ऐसी संपत्ति की कुर्की का आदेश यह निदेश देते हुए करेगा कि अभिहित न्यायालय या, यथास्थिति, ऐसा आदेश करने वाले अधिकारी की पूर्व अनुज्ञा के बिना, ऐसी संपत्ति को अंतरि त नहीं किया जायेगा या उसके संबंध में अन्यथा कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी और ऐसे आदेश की एक प्रति संबंधित व्यक्ति पर तामील की जायेगी।

 (3) अन्वेषण अधिकारी ऐसी संपृत्ति के अभिग्रहण या कुर्की के अड़तालीस घंटों के भीतर अभिहित न्यायालय को सम्यक् सूचना देगा।

 (4) यह अभिहित न्यायालय पर निर्भर करेगा कि वो उप-धारा (2) के अधीन किये गयेअभिग्रहण या कुर्की के आदेश की या तो पुष्टि करे या उसका प्रतिसंहरण करे परन्तु अभिहित न्यायालय तब तक कोई आदेश पारित नहीं करेगा जब तक कि उस व्यक्ति को, जिसकी संपत्ति कुर्की की जा रही है, अभ्यावेदन करने का अवसर प्रदान न किया गया हो।

 (5) जहां अभियुक्त इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है तो अभिहित न्यायालय किसी दण्ड के निर्णय के अतिरिक्त, लिखित में आदेश द्वारा यह घोषित कर सकता है कि आदेश में विनिर्दिष्ट और अभियुक्त से संबंधित सभी विल्लंगमों से मुक्त कोई भी चल या अचल या दोनों संपत्ति राज्य सरकार को अधिहत समझी जायेगी।  स्पष्टीकरण .- इस धारा के प्रयोजन के लिए, इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के आगम से समस्त प्रकार की ऐसी संपत्तियां अभिप्रेत हैं, जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध को कारित करने से व्युत्पन्न हुईं हों या अभिप्राप्त की गई हों या इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध से संबंधित निधियों के माध्यम से अजित की गई हों और इसमें नकदी भी सम्मिलित होगी, बिना उस व्यक्ति का विचार किये जिसके नाम से ऐसे आगम हैं या जिसके कब्जे में वे पाये जाते हैं।

13. समस्त लागत और व्यय का संदाय करने का प्रबंधतंत्र इत्यादि का दायित्व .- यदि प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य का कोई व्यक्ति इस अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (2) के अधीन अपराध का दोषी पाया जाता है तो प्रबंधतंत्र या संस्था या सीमित दायित्वभागीदारी या अन्य, अभिहित न्यायालय द्वारा अवधारित, परीक्षा से संबंधित समस्त लागत और व्यय का संदाय करने के लिए दायी होंगे और उन्हें सदैव के लिए प्रतिबंधित किया जायेगा।

 14. अपराधों का संजेय, अजमानतीय और अशमनीय होना .- इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समस्त अपराध संज्ञेय, अजमानतीय और अशमनीय होंगे।

 15. अपराधों का अन्वेषण .- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की रैंक से नीचे का कोई AST भी पुलिस अधिकारी इस अधिनियम के अधीन कारित किसी भी अपराध का अन्वेषण नहीं करेगा।

16. अभिहित न्यायालयों द्वारा विचारणीय मामले .- दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 2) या_ तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनिय़म के अधीन विनिर्दिष्ट अपराधों का विचारण, इस अंधिनियम के अधीन अभिहित न्यायालयों द्वारा ही किया जायेगा।

17. अभिहित न्यायालयों को नियुक्त करने की शक्ति .- राज्य सरकार, राजस्थान उच्च यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उतने सेशन यायालय अभिंहित कर सकेगी, जितने वह स अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराधों के विचारण के लिए आवश्यक समझे। 

18. अधिनियम का किसी भी अन्य विधि के अल्पीकरण में न होना .- इस अधिनियम के उपबंध तत्समय प्रवृत्त किसी भी अन्य विधि के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे न कि उसके अल्पीकरण में।

 19. कठिनाइयों का निराकरण करने की शक्ति .- (1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राज्य सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हों, जो कठिनाई के निराकरण के लिए आजश्यक प्रतीत हों:  · परन्तु इस धारा के अधीन ऐसा कोई भी आदेश इस अधिनियम के प्रारंभ से दो वप की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जायेगा।

 (2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके किये जाने के पश्चात्, यथाशकव शीघ्र, राज्य विधान-मण्डल के सदन के समक्ष रखा जायेगा।

 20. नियम बताने की शक्ति .-- (1) राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी।

 (2) इस धारा के अधीन बनाये गये समस्त नियम उनके इस प्रकार बनाये जाने के पश्चात, यथाशक्य शीघ्र, राज्य विधान- मण्डल के सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, चौदह दिवस से अन्यून की कालावधि के लिए, जो एक सत्र में या दो उत्तरोत्तर सत्रों में समाविष्ट हो सकेगी, रखे जायेंगे और यादि, उन सत्रों की, जिनमें वे इस प्रकार रखे जाते हैं या ठीक अगले सत्र की समाप्ति के पूर्व राज्य विधानमण्डल का सदन ऐसे नियमों में से किसी नियम में कोई उपान्तरण करता है या यह संकल्प करता है कि ऐसा कोई नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् ऐसा नियम केवल ऐसे उपान्तरित रूप में प्रभावी होगा या, यथास्थिति, उसका कोई प्रभाव नहीं होगा, तथापि, ऐसा कोई भी उपान्तरण या बातिलकरण उसके अधीन पूर्व में की गयी किसी बात की विधिमान्यता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा।

अनुसूची-1

[धारा 2(ख )]

1. राजस्थान लोक सेवा आयोग

  2. राजस्थान उच्च न्यायालय

 3. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड

 4. राज्य सरकार द्वारा नियुक्त या गठित कोई अन्य प्राधिकारी या अभिकरण या भर्ती समिति 

5. राज्य द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालय

6. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 

7. राजस्थान पुलिस भर्ती और पदोन्नति बोर्ड, जयपुर

8. राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन पब्लिक सेक्टर उपक्रम

 9. कोई सोसाइटी, निगम, स्थानीय निकाय और राज्य सरकार के पूर्णतः: या भागतः स्वामित्वाधीन समस्त पब्लिक सेक्टर उपक्रम

 10. राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य प्राधिकारी 1

अनुसूची-2 [धारा 2(ड)]

 1. राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित कोई परीक्षा। 

2. राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संचालित कोई परीक्षा।

3. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा संचालित कोई परीक्षा।

  4. राज्य सरकार द्वारा नियुक्त या गठित किसी अन्य प्राधिकारी या अभिकरण या भर्ती समिति द्वारा संचालित कोई परीक्षा।

  5. राज्य द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित कोई भर्ती परीक्षा। 

6. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित कोई भर्ती परीक्षा।

 7. राजस्थान पुलिस भर्ती और पदीन्नति बोर्ड, जयपुर द्वारा संचालित कोई परीक्षा।

 8. राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन पब्लिक सेक्टर उपक्रम द्वारा संचालित कोई परीक्षा।

 9. किन्हीं सोसाइटियों, निगमों, स्थानीय निकायों और राज्य सरकार के पूर्णतः: या भागतः स्वामित्वाधीन समस्त पब्लिक सेक्टर उपक्रमों द्वारा संचालित कोई अन्य परीक्षा।

 10.राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अभिकरण द्वारा संचालित कोई अन्य परीक्षा।    

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